गिरिजा व्यास का निधन भारत के लिए बहुत ही दुखद घटना हो सकती है
गिरिजा व्यास एक कविइत्री थी जो राजस्थान के अंदर देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई
गिरिजा व्यास एक केंद्रीय मंत्री थी वरिष्ठ नेता थी कांग्रेस की और राष्ट्रीय महिला आयोग की भी पूर्व अध्यक्ष रह चुकी है वह डॉक्टर थी 78 साल की थी
उनके परिवार ने बताया कि 31 मार्च 2025 को उदयपुर के दैत्य नगरी में उन्होंने अपने घर पर बहुत अच्छी पूजा की तभी उनकी पूजा करते वक्त उनके कपड़ों को आग लग गई इस आज की झुलस से वह 90 फीसद जल चुकी थी
इस हादसे के बाद उन्हें पवन अस्पताल के अंदर भर्ती कराया गया लेकिन वह कुछ काम में नहीं आया

राजस्थान के पूरे मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता बहुत ही मशहूर नेता अशोक गहलोत ने गिरिजा व्यास के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी है उन्होंने कहा कि “पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ गिरिजा व्यास का निधन हम सब के लिए एक अपूरणीय क्षति है”
डॉक्टर गिरिजा व्यास ने राजनीति के अंदर भी काम किया समाज के अंदर भी काम किया और शिक्षा के अंदर बहुत बड़ा योगदान दिया है
इस तरीके के इधर होना यह बहुत ही दुखद घटना है
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी उनको उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्होंने भी कहा है कि “पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ गिरिजा व्यास जी के निधन का समाचार बहुत ही दुखद है”
डॉ विकास एक बहुत ही अच्छी कवियत्री थी और उन्होंने राजस्थान के कांग्रेस की राजनीति में भी एक अहम रोल निभाया है वह देश के अंदर और अपने प्रदेश के अंदर पिछले 45 साल से सक्रिय कम कर रही है
गिरिजा जी का बचपन से ही मन था कि वह नृत्यांकन बने उनका जन्म 8 जुलाई 1946 में नाथद्वारा के अंदर श्रीकृष्ण शर्मा और जमुना देवी के घर पर हुआ था यह उनकी पुत्री थी
स्नातक डिग्री उन्होंने उदयपुर के मीरा कॉलेज से ली थी और एमबी कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की पढ़ाई भी पूरी की थी
इसके बाद उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का रूप लिया यही से उन्होंने एचडी भी की और थीसिस किया जिसका विषय था गीता और बाइबल के तुलनात्मक अध्ययन
पढ़ाई में अव्वल रहने वाले गिरिजा व्यास बहुत स्वभाव के अच्छे थे और दूसरों को मदद करने वाले थे
उनकी मां उन्हें बुलबुल कहती थी एक और डॉक्टर बनने की प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन वह डॉक्टर बनी लेकिन पीएचडी कर कर डॉक्टर बनी ना की मेडिसिन के अंदर

गिरिजा व्यास के बचपन के अंदर ही उनके पिता का निधन हो गया और उनके परिवार को संभालने के लिए उनकी मां के लिए ही काम किया करती थी इसी कारण उन्होंने शादी भी नहीं की
गिरिजा व्यास इन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेलावेयर जो कि अमेरिका में स्थित है वहां पर 1979 से 1980 में पढ़ने दी गई थी
1998 में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे तब वह कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी डॉक्टर गिरिजा व्यास इनको 15 अप्रैल 1999 को दी थी वह 2004 तक इस पद पर रही और कांग्रेस के साथ जनता के कामों में लगातार मेहनत करती रही और लोगों को सेवा करती रही
इन्हीं की वजह से राजस्थान के अंदर कांग्रेस को एक मजबूत काम करने वाले लोग मिल गए थे
आपसी मामलों के कारण 2003 के अंदर कांग्रेस चुनाव विधानसभा पूरी तरह से हार चुकी थी 153 सीटों से 57 सीटों पर आ चुकी थी

डॉक्टर गिरिजा व्यास कांग्रेस की दूसरी महिला अध्यक्ष है इससे पहले लक्ष्मी कुमारी चुंडावल जो की 24 सितंबर से 1971 में बनी थी और उनका कार्यकाल 20 अप्रैल 1972 तक प्रतिशत अध्यक्ष के रूप में राजस्थान के अंदर था
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जो की सीपी जोशी ने इन्होंने बताया है कि ” गिरिजा व्यास जी समय विश्वविद्यालय से शिक्षा पूर्ण कर निकलने वाली थी उसे समय मैं वहां दाखिल हो रहा था”
1985 में भी टिकट मिल चुका था वह उदयपुर से विधायक बन चुकी थी इसी तरह कॉलेज में भी वह जूनियर रहे जोशी राजनीति में गिरिजा के 5 साल सीनियर हो गए थे
मेवाड़ के अंदर जोशी और गिरिजा व्यास इन दोनों के बीच कुछ संबंध ठीक नहीं थे राजनीतिक वरिष्ठता कि वह अंदरूनी लड़ाई चल रही थी इसका असर टिकट बंटवारे पर भी दिखा था
यह बात सही है कि दोषी कहते हैं “गिरिजा व्यास ने कांग्रेस में अपनी मेहनत से राजनीति में जगह बनाई और उनके बैकग्राउंड बहुत हम्बल रहा है और उन्होंने अपने होते हैं राजनीतिक कामयाबी अर्जित की है”
यह बात सुनने मिलती है कि गिरिजा गया जब ताकतवर हो गई तो उन्होंने 1953 में जोशी को नाथद्वारा से टिकट लेने में काफी दिक्कतें दिलाई और वहां पर उन्हें टिकट देने से रुकैया और किशन त्रिवेदी को पार्टी में उम्मीदवार बनाकर उन्हें टिकट देने में मदद की जो कि भाजपा के शिवदान सिंह के मुकाबले में थे और इसी वजह से भाजपा के शिवदान सिंह जीते थे
इस प्रदेश की काफी महिलाएं राजनीति में आ चुकी थी राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री भी रह चुकी थी जैसे कि हमीदा बेगम ,बीना काक , इंदिरा मायाराम ,जाकिया आदि का भी दौर गुजरा था भगवती देवी, नीलिमा आदि उनसे पहले भी राज्य मंत्रिमंडल के अंदर मंत्री बन चुके थे
अरुण चतुर्वेदी जो की राजनीतिक विश्लेषक और प्रोफेसर रह चुके हैं वह बताते हैं गिरिजा व्यास राजस्थान की सिर्फ महिला नेताओं में प्रमुख रही है उन्होंने मेवाड़ में उनकी एक युवा नेत्री की उदय था उसे समय सुखाड़िया युग पर उतर था और प्रदेश कांग्रेस की राजनीति नए-नए करवटें ले रही थी
गिरिजा गैस इनको मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के मंत्रिमंडल में भी राज्य मंत्री बनाया गया था जो 6 फरवरी 1998 सी में मुख्यमंत्री बनें थे उन्हें मंत्रिमंडल के अंदर भाषा पर्यटन महिला एवं बाल विकास संस्कृत शिक्षा आदि का प्रभाव दे दिया गया था
माथुर के त्यागपत्र के बाद जब हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री बन चुके थे तब उन्होंने भी 9 दिसंबर 1999 को व्यास जी को राज्य मंत्री के रूप में एक स्वतंत्र प्रभाव दिया था और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया था

वह कला संस्कृति पर्यटन पशुपालन पुरातत्व दुग्ध विकास विभाग की मंत्री रह चुकी थी वह 9 फरवरी 1988 से 4 मार्च 1990 तक मंत्री राज्य सरकार में मंत्री बने
उनकी पकड़ केंद्र में भी मजबूत होती गई 1989 में जब राजीव गांधी उनके विरोध की लहर तेजी से चल रही थी तो फरवरी 1990 में गिरिजा व्यास भी चुनाव हार गई थी लेकिन फिर जून 1991 में मध्यवर्ती चुनाव में उन्होंने उदयपुर की लोकसभा उम्मीदवार बनाया गया था और वह लोकसभा के लिए लड़ रही थी
उन्होंने भाजपा के सांसद गुलाबचंद कटारिया को हराया था और आज कटारिया पंजाब के राज्यपाल है
उन्होंने राजीव गांधी के विरोधी लहर के अंदर विधानसभा हार चुकी थी लेकिन उन्हें सहानुभूति मिलने वाली लहर के अंदर लोकसभा जीत चुकी थी यह बहुत बड़ा बदलाव था
गिरिजा व्यास 21 जून 1991 से 17 जनवरी 1993 तकपिवी नरसिम्हा राव की जो सरकार थी उसमें सूचना और प्रसारण मंत्री उप मंत्री रह चुकी थी यह पार्टी के केंद्रीय राजनीति में उनकी मजबूती का दौर था
गिरिजा व्यास ने अपने गुरु के साथ लोगों के अंदर संवाद किया उनसे बातें की अपने तर्कों को लोगों के सामने रखा और लोगों से बहुत बड़ी सहानुभूति भी मिली
2004 में गिरिजा व्यास हार गई थी और बीजेपी के किरण माहेश्वरी जीत चुके थे
हार जीत तो होती थी लेकिन वह कभी हरि नहीं वह हर वक्त काम करती थी
उन्होंने अपना अगला चुनाव 2009 के अंदर चित्तौड़गढ़ से लड़ा जा उन्होंने भाजपा के एक बहुत बड़े नेता श्री चंद्र कृपलानी को करीब करीब 70000 मतों से बहुत ही बुरी तरीके से उन्हें हरा दिया
व्यास जी का राजनीतिक कैरियर तो बहुत अच्छा था इसके बाद उन्हें उतार आता गया और मेवाड़ भाजपा के लिए किला बन गया

2014 में वह चित्तौड़गढ़ से खड़ी हुई लेकिन भाजपा के सीपी जोशी ने उन्हें हरा दिया था और 2018 में और बीमार होने के बावजूद पार्टी ने उन्हें उदयपुर विधानसभा सीट से उतरा भाजपा के नेता गुलाबचंद कटारिया से हार गई
वह अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की बहुत बड़ी अध्यक्ष भी रह चुकी थी वह बहुत ही बड़ा नाम काम किया था
भारतीय कांग्रेस कमेटी के अंदर मीडिया विभाग के चेयरपर्सन और इंडो यू सिविल सोसाइटी की सदस्य भी रह चुकी थी